
सड़क व्यवस्था की लचर स्थिति पर न्यायालय ने दिखाई कठोरता, दिसंबर के पहले सप्ताह तक मांगा जवाब
Bilaspur High Court ने Chhattisgarh में बिगड़ती सड़क व्यवस्था पर कड़ी नाराजगी जताई है। लगातार दिए गए निर्देशों के बावजूद स्थिति में सुधार न दिखने पर अदालत ने राज्य सरकार पर 1,000 रुपये का जुर्माना लगाया है। साथ ही कहा गया है कि अब हर सड़क के कार्य की विस्तृत रिपोर्ट शपथपत्र (Affidavit) के रूप में प्रस्तुत करनी होगी।
शासन की लापरवाही पर कोर्ट ने जताया असंतोष
सोमवार को हुई सुनवाई के दौरान Chief Justice Ramesh Sinha की अध्यक्षता वाली Division Bench ने कहा कि सड़कों की मरम्मत और निर्माण कार्य में बेहद सुस्ती है। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि शासन अब मौखिक दावे नहीं, बल्कि ठोस साक्ष्यों के साथ जवाब दे।
अधूरे प्रोजेक्ट्स पर मांगी विस्तृत जानकारी
अदालत ने आदेश दिया कि सभी चल रहे सड़क कार्यों की Progress Report पारदर्शी रूप से प्रस्तुत की जाए।
शासन की ओर से बताया गया कि Ratanpur-Sendri Road का कार्य लगभग पूर्ण हो चुका है और Raipur Road का कार्य 70% पूरा है। लेकिन कोर्ट ने कहा कि केवल मौखिक जानकारी पर्याप्त नहीं है — इसे शपथपत्र के रूप में दर्ज किया जाए।
फुट ओवरब्रिज निर्माण पर भी हुई चर्चा
PWD (Public Works Department) ने कोर्ट को बताया कि Turkadeeh, Sendri, Ranigaon, Melanadih और Beltara में Foot Overbridge बनाए जा रहे हैं। इनकी लागत पहले 17.95 करोड़ थी, जो घटकर 11.38 करोड़ रह गई है। टेंडर प्रक्रिया पूरी होते ही निर्माण कार्य शुरू होगा।
बिलासपुर-रायपुर हाईवे की स्थिति पर सख्त टिप्पणी
Bilaspur-Raipur National Highway (NH-90) की दुर्दशा पर कोर्ट ने कहा कि यह मार्ग जनता की परेशानी का मुख्य कारण बन चुका है। न्यायालय ने प्रश्न किया कि मरम्मत में इतनी देरी क्यों हो रही है और PWD विभाग का मौन रहना अत्यंत चिंताजनक है।
राख प्रदूषण और जवाबदेही पर भी खिंचा सवाल
Raipur-Bilaspur Main Road पर पावर प्लांटों की Ash Pollution समस्या पर कोर्ट ने Chief Secretary से जवाब मांगा है। साथ ही Ratanpur-Kenda Road की खराब हालत को लेकर PWD Secretary को भी शपथपत्र प्रस्तुत करने का निर्देश दिया गया है।
न्यायालय का सख्त रुख, दिसंबर में अगली सुनवाई
Chhattisgarh High Court ने स्पष्ट किया है कि सड़कों की गुणवत्ता और मरम्मत की प्रगति पर विस्तृत रिपोर्ट दिसंबर के पहले सप्ताह तक प्रस्तुत की जाए। न्यायालय ने कहा कि यदि स्थिति में सुधार नहीं होता, तो शासन के विरुद्ध और कठोर कदम उठाए जा सकते हैं।














